वायु प्रदूषण पर निबंध | Essay on Air Pollution in Hindi
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Essay on Air Pollution in Hindi |
Essay on Air Pollution in Hindi
Essay 1 in 200 Words
मनुष्य दिन-पे-दिन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग बहुत ही असीमित तरीके से करता चला आ रहा है। यहाँ तक कि अब परिस्थितियाँ भी अनुकूल नहीं रही। मनुष्य ने स्वरूप अपने रहने के लिए विपरीत परिस्थितियाँ उत्पन्न की हैं तथा अन्य जीवधारियों का जीवन भी कठिन हो गया है। प्रदूषण कई प्रकार के होते है जैसे वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, इत्यादि। इनमें से सबसे खतरनाक है वायु प्रदूषण। वायु प्रदूषण के मुख्य प्रदूषक जैसे गैस, धुआँ, धुल तथा जैविक और अजैविक पदार्थों के ठोस व तरल अंश होते है।
यह सत्य है कि वायु कभी शुद्ध नही होती उसमें सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, पोलेन्स, धूल आदि मिली रहती है। प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा यह पदार्थ निरंतर वायु में शामिल होते रहते है। जब प्राकृतिक और मानवी क्रियाओं द्वारा उत्पन्न हानिकारक धुआँ, धूल, गैस, इत्यादि वायु में मिल जाती है तब उसे वायु प्रदूषण कहते है।
वायु प्रदूषण के मुख्यता दो स्रोत होते है जैसे- प्राकृतिक स्रोत तथा मानव निर्मित स्रोत। प्राकृतिक प्रदूषण के स्रोत में प्रकृति स्वयं पर्यावरण को प्रदूषित करती है। इस प्रकार के प्रदूषण अनायास तथा अचानक होते हैं इनका प्रभाव सीधे जीव मंडल पर पड़ता है। इसके प्रमुख स्रोत है जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, वनों में आग लगना, धूल भरी आंधी व तूफ़ान, इत्यादि। यदि हम मानव निर्मित प्रदूषण के स्रोतों की बात करें तो इसके अंतर्गत आते है, शहरों का नगरीकरण और औद्योगिक विकास से उत्पन्न प्रदूषण, स्वचालित वाहनों पर अत्यधिक निर्भरता, विद्युत-शक्ति केंद्र, कारखानों की स्थापना, इत्यादि जैसे कई और स्रोत है जिसके जरिये वायु प्रदूषित होती है।
प्रदूषण चाहें जो भी हो मनुष्य अगर आज नहीं चेता तो कहीं देर न हो जाए। हमारे देश की सरकार भी वायु प्रदूषण के निपटान हेतु कई योजनाएँ लाती है, परन्तु उनमें से कुछ ही चल पाती है, बहुतों को आम जनता ही नही टिकने देती। अगर यही सब चलता रहा तो जीव-जन्तु और हमारा पर्यावरण बहुत मुश्किल परिस्तिथि में पड़ जाएगा और हम मानव जातियों को बहुत कठिनाइयों का सामना पड़ेगा।
वायु प्रदूषण पर निबंध
Essay 2 in 400 Words
प्रदूषण की समस्या की एक 'वैश्विक समस्या' बन गयी है। पूरा विश्व इस समस्या को झेल रहा है और इस समस्या ने तो अब विकराल रूप ले लिया है, जिसका दुष्परिणाम हमें प्रतिदिन देखने को मिल रहा है। पूरी मानवजाति और प्रकृति इस समस्या के तहत खतरे में आ गयी है। प्रदूषण कई प्रकार के होते है जैसे- जल प्रदूषण, मृदा-प्रदूषण, ध्वनि-प्रदूषण और वायु प्रदूषण। सभी प्रकार के प्रदूषण हानिकारक है। इनमें से एक वायु प्रदूषण है जो सर्वाधिक हानिकारक है।आज हम आपको वायु प्रदूषण के प्रभावों, कारण और इससे बचने के उपायों के बारे में अवगत करायेंगे।
वायु प्रदूषण जैसे इसके नाम से ही पता चलता है, हवा में दूषित कणों और पदार्थों को फैलने को वायु प्रदुषण के नाम से जाना जाता है। कुछ हानिकारक तत्व वायु में मिलकर इसको प्रदूषित करते है जिससे ये हमारे लिए हानिकारक हो जाती है और ये प्रदूषित वायु हमारे श्वसन योग्य नही होती। वायु प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा असर होता है। इसके कारण हमें कई रोगों का सामना करना पड़ता है। वायु प्रदूषण से साँस संबंधी, अंधापन, फेफड़ों तथा त्वचा संबंधी भयानक बीमारियाँ हो जाती है । इसके कारण कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है।
इस वायु -प्रदूषण के लिए हम मनुष्य और प्रकृति दोनों ही जिम्मेदार है । हमारा अधिक से अधिक वाहनों का प्रयोग, फैक्टरियों का धुआँ, धूम्रपान, आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण है। कई प्रदूषण प्राकृतिक कारणों से भी होता है। भूकंप, आंधी-तूफान, भूस्खलन, जंगल की आग, आदि इसके प्रमुख कारण है जो बहुत ही विकराल रूप में वायु प्रदूषण को जन्म देते है।
हम प्राकृतिक प्रदूषण को भले ही नही रोक सकते है, लेकिन कम से कम स्वयं के प्रयासों के द्वारा इसके स्तर को कम तो कर ही सकते है। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हमें पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों का कम से कम उपयोग करना होगा। इसके साथ-साथ हस्त-उद्द्योगों को बढ़ावा देना होगा, जिससे कम से कम फैक्टरियों का निर्माण हो। हम सभी को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होकर धूम्रपान की खराब आदत को त्यागना होगा, जिससे हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ प्रकृति की भी रक्षा हो सके। इसके लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा।
सचमुच अगर हम एक जागरूक नागरिक की भांति काम करना चाहते है तो हमें स्वयं से इस समस्या के प्रति जागरूक होकर आगे बढ़ना होगा और दूसरों को भी इस दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास करना होगा। पूरे विश्व की सरकारें इस दिशा में अथक प्रयास कर रही है। लेकिन उनको इस दिशा में सफलता तब मिलेगी जब-जब विश्व का हर एक जन स्वयं में जागरूक होगा और स्वयं और विश्व के कल्याण की दिशा में अग्रसर होगा।
Air Pollution Par Essay
Essay 3 in 1000 Words
प्रस्तावना:- प्रदूषण दो शब्दों से मिलकर बना है, प्र+दूषण अर्थात दूषित पर्यावरण और पर्यावरण को प्रदूषक दूषित करते हैं, जो कि दो शब्दों से मिल कर बना है प्र+दूषक अर्थात पर्यावरण को दूषित करने वाले कारक। प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं। जैसे:- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ठोस अपशिष्ट प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण आदि प्रकार के प्रदूषण होते हैं।
परंतु आज हम एक विनाशकारी प्रदूषण के बारे में बात करेंगे जिसे हम वायु प्रदूषण के नाम से जानते हैं। जो कि बढ़ती जनसंख्या के साथ बढ़ता जा रहा है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है। संसाधन भी बढ़ रहे हैं जिससे प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और यह हमारे आने वाले समय के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो सकता है।
वायु प्रदूषण के कारण:- वायु प्रदूषण के कारणों को हम दो भागों में बांट सकते हैं।
1) प्राकृतिक कारण
2) मानवीय कारण
1) प्राकृतिक प्रदूषण के कारण:- प्रकृति कभी कभी स्वयं को प्रदुषित करती है जिसके कारण प्रकृति स्वयं को तथा हमें और बाकी जीव जंतुओं को भी संकट में डाल देती है। इसके प्रमुख स्त्रोत है; ज्वालामुखी विस्फोट, पहाड़ों का टूटना, भूस्खलन, चट्टानों का टूटना, आँधी, तूफान का आना, वनों में आग लगना, बिजली का गिरना, बाढ़ आना, ज्वार भाटा का आना तथा नमक का जमाव आदि। वायु प्रदूषण के प्राकृतिक रूप से बढ़ने से कई बार जान-माल की भी काफी ज्यादा हानि हो जाती है। हम इसका केवल अंदाजा लगा सकते हैं कि यह प्राकृतिक आपदाएं कब आयेंगी ना कि इसको रोक सकते हैं। हम इसके लिए पहले से सावधानी के तौर पर कुछ सुरक्षा का इन्तेजाम कर सकते हैं। यें आपदाएं अपने आप आती हैं एवं अपने आप ही फिर से मनुष्य के अनुकूल बन जाता है।
# ज्वालामुखी विस्फोट:- ज्वालामुखी का जब विस्फोट होता है तब जो लावा उससे बाहर आता है उससे कई फसलों तथा जान माल की हानि होती है और उससे उड़ने वाली धूल तथा उससे निकली गैसे वायु में मिलकर उसे प्रदुषित कर देती हैं और यह वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण बन जाता है।
# पहाड़ों का टूटना:- पहाड़ धूल, मिट्टी, पत्थर आदि से ही बने होते हैं और जब पहाड़ टूटते हैं तब धूल, मिट्टी उड़ती है और वायु में जाकर मिलती है जिससे भी वायु प्रदूषण बढ़ता है।
# भूस्खलन:- भूस्खलन का अर्थ है पृथ्वी का खिसकना या चट्टानों का टूटना। भूकंप, बाढ़ आदि से भूस्खलन होता है। जिससे कई इमारतें गिर जाती हैं और वायु प्रदुषण का कारण बनती हैं।
# अंधी तूफान का आना:- अंधी तूफान आने से कई धूल के कण वायुमंडल में मिल जाते हैं तथा उसे दूषित करते हैं और बाकी कारणों की तरह यह भी वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है।
# वनों में आग लगना:- कई बार तेज धूप के कारण वनों में आग लग जाती है जिसके कारण बड़े बड़े वन नष्ट हो जाते हैं और उन पेड़ों के जलने से जो धुआं उठता है और वो धुआं वायु मंडल में जाकर मिल जाता है और वायु को प्रदुषित करता है और वायु प्रदुषण का कारण बन जाता है।
# ज्वार भाटा वा नमक का जमाव:- ज्वारभाटा समुद्रों में आता है वा ज्वारभाटा आने के साथ ही नमक भी आ जाता है और किनारों पर आकर जमा हो जाता है और हवा चलने पर उड़ता है जिससे भी वायु दूषित होती है और वायु प्रदूषण होता है।
यह सब वायु प्रदूषण के प्राकृतिक कारण हैं हैं जिन्हें हम प्राकृतिक आपदा भी कह सकते हैं।
2) मानवीय कारण:- जनसंख्या की वृद्धि पर्यावरण के प्रदूषण का एक बड़ा कारण बन गया है। क्युकि जैसे जैसे लोग बढ़ रहे हैं वैसे वैसे संसाधन बढ़ रहे हैं, लोगों की आवश्यकता बढ़ रही हैं। जिसके कारण कई वाहन भी बढ़ गए हैं जिससे धुआं निकालता है और वायु में जाकर मिल जाती है और उसे दूषित कर देती है और अन्य कारण निम्न हैं - स्वचालित वाहनों की वृद्धि, विद्युत-शक्ति केंद्र,कारखाने आदि।
# जनसंख्या वृद्धि:- जनसंख्या वृद्धि के कारण संसाधनों की आवश्यकता बढ़ रही है तथा इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वन आदि काटे जा रहें हैं। पेड़ हमारे वायु में उपलब्ध अशुद्धियों को कम करते है और जैसे जैसे संसाधन बढ़ रहे हैं वैसे वैसे प्रदूषण भी बढ़ रहा है। आज जनसंख्या की वृद्धि प्रदूषण का एक बड़ा कारण बन गई है।
# स्वचालित वाहनों की वृद्धि:- जो भी वाहन हम अपनी सड़कों पर चलते हुए देखते हैं जिनमें मोटर लगा होता है उसे स्वचालित वाहन कहते हैं। इनमें से जब धुआं तथा अन्य गैसें निकालती हैं तो वे वायु में ही जाकर मिलती हैं और वायु को प्रदुषित करती हैं और वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं।
# नगरीकरण:- नगरीकरण भी एक प्रकार का कारण है क्युकि इससे उद्योग बढ़ रहें है जिससे कारखाने बढ़ रहे हैं और प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है।
# विद्युत शक्ति केंद्रों की वृद्धि:- विद्युत शक्ति केंद्रों की स्थापना विद्युत की अपूर्ति को पूर्ण करने के लिए की जाती है। जो कि गैस पर आधारित होता है। जिसके कारण उससे कई प्रकार की जहरीली गैसें निकालती हैं। जो कि वायु में मिलकर वायु को अशुद्ध करते हैं एवं वायु प्रदूषण का इक कारण बनता है।
# कारखाने:- जैसे बाकी के प्रदूषण के स्त्रोतों से धुआ या गैस द्वारा प्रदूषण होता है वैसे ही कारखाने के द्वारा भी प्रदूषण होता है। कारखानों में भी भट्टियां काफी बड़े पैमाने पर जलायी जाती है जिससे धुआं तथा अन्य गैसें निकालती है जिससे वायु प्रदुषित होती है।
वायु प्रदूषण के सान्या और भी कारण है जिससे वायु दूषित होती है और हमारे वायुमंडल को हानि पहुंचती है। जिससे हमारे वायुमंडल में उपस्थित ओजोन परत को भी खतरा हो गया है जो कि हमारी पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक किरनों से बचाती है। हमें अपने वायुमंडल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण को कम करना होगा वर्ना वो दिन दूर नहीं जिस दिन हमारी पृथ्वी नष्ट हो जाएगी।
हमें आशा है कि आप सबको यह Essay on Air Pollution in Hindi अवश्य पसंद आया होगा, हमने यह लेख बहुत ही सरल भाषा उपयोग कर आपके समक्ष प्रस्तुत किया है ताकि हमारे विद्यार्थीगण व अन्य पाठक इसको आसानी से समझ सकें। अगर आपको यह अच्छा लगा हो तो इसे शेयर अवश्य करदें, हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध सोशल मीडिया आइकॉन के जरिये।
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