3) रूढ़िवादी सोच :- लोगों का सोचना है कि केवल लड़के ही कमा सकते हैं और इसी बेकार पुरानी सोच के कारण लोग ज्यादा से ज्यादा बच्चे कर लेते हैं कि जितने ज़्यादा लड़के होंगे उतनी ही ज्यादा आय होगी।
1) बेरोजगारी :- बढ़ती बेरोजगारी आज कल की सबसे बड़ी समस्या बन गयी है। आजकल जनसंख्या के बढ़ते दौर में रोजगार उत्पन्न करना बहुत मुश्किल हो गया है। अशिक्षित लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है और जो लोग शिक्षित हैं वो कोई छोटा काम करना नहीं चाहते उनको भी बड़ा रोजगार चाहिए। कई बार रोजगार ना पाने के कारण लोगों की मानसिक स्थिति भी विकट हो जाती है और लोग कई बार समाज के दबाव में आकर गलत कदम उठा लेते हैं।
2) बुनियादी ढांचे पर प्रभाव :- हमारा देश एक विकास-शील देश है। हमारा देश अभी इतना विकसित नहीं है जिसके कारण हमारे देश में जितनी सुविधाएँ हैं उसमे कमी आती जा रही है, ये सुविधायें इतनी बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए पर्याप्त नहीं है। जिससे कारण आर्थिक मंदी और व्यापार प्रसार में समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। जिससे हमारे संसाधनों में भी कमी आ रही है। परिवहन, संचार, आवास, शिक्षा- संसाधन, अस्पताल जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। जिसके परिणामस्वरूप झोपड़पट्टियां, ट्राफिक, बीमारियां आदि बहुत तेजी से बढ़ रही हैं।
3) मूल आवश्यकताओं की कमी :- सभी जानते हैं कि मनुष्य की मूल आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान है। लेकिन आज इसी की सबसे ज्यादा कमी बढ़ती जा रही है। रोजगार ना मिल पाने के कारण लोग अपना वा अपने परिवार का पेट नहीं पाल पाते हैं जिसके कारण चोरियां, डकैती आदि बढ़ जाती हैं।
4) घटता उत्पादन एवं बढ़ती लागत :- हमारी जनसंख्या बढ़ रही है तो जाहिर है कि आवश्यकताएं भी बढ़ेंगी ही। परंतु संसाधन ना हो पाने के कारण उत्पादन कम हो रहा है जिससे सभी को पर्याप्त भोजन या और आवश्यक वस्तुएँ नहीं मिल पाती हैं और उत्पादन घट गई है जिसके कारण लागत बढ़ती जा रही है और बढ़ती महंगाई के कारण भी कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
5) अनुचित आय वितरण :- पर्याप्त रोजगार ना होने के कारण एक ही कार्यालय में कई लोगों की भर्ती भी हो जाती है जिससे लोगों की आय में फर्क़ आ जाता है और लोगों को उनके कार्यानुसार वेतन नहीं प्राप्त हो पाता है जिससे कई बार धरना-प्रदर्शन, दंगे आदि भी हो जाते हैं।
6) पर्यावरण को क्षति :- हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हम पर्यावरण को क्षति पहुंचाते हैं। जाने-अनजाने जो कुछ भी हम अपने पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं उससे हम हीं को नुकसान होता है। हमें पर्यावरण के नियमों के विरुद्ध नहीं जाना चाहिए। नहीं तो हमें आगे चलकर बहुत बड़ी आपदा का सामना करना पड़ सकता है।
जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय- सर्वप्रथम हमें इसे रोकने के लिए शिक्षा का प्रसार करना होगा। और भी कई उपायों से हम जनसंख्या नियंत्रित कर सकते हैं जैसे :- जनसंख्या शिक्षा (परिवार नियोजन संबंधी शिक्षा, महिला शिक्षा, यौन शिक्षा), विवाह की आयु में वृद्धि, जन संपर्क, संतानोत्पत्ति की सीमा निर्धारण, स्वास्थ्य तथा मनोरंजन सेवा के प्रबंध, सामाजिक सुरक्षा, शिशु मृत्युदर कम करना, कृत्रिम साधनों का उपयोग आदि के द्वारा हम जनसंख्या वृद्धि को कम कर सकते हैं।
1) शिक्षा का प्रसार :- हमारे देश की 70% आबादी गांव में रहती है जिसमें से बहुत कम ही लोग ऐसे होंगे जो शिक्षा का मह्त्व समझते हैं। बाकी अधिकतर लोग अशिक्षित होते हैं। इसी अशिक्षा के कारण बेरोजगारी, गरीबी, महँगाई जैसी समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। जिससे हमारे देश में कयी सारी परेशानियां उत्पन्न हो रही हैं। इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए हमे शिक्षा का क्षेत्र बढ़ाना होगा और जन-जन को शिक्षित करना होगा तभी लोग इस बढ़ती हुई जनसंख्या से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को समझेंगे और उससे जुड़ी बातों को जानने के लिए जागरूक होंगे।
2) जनसंख्या शिक्षा :- जनसंख्या शिक्षा के अंतर्गत परिवार-नियोजन शिक्षा, महिला शिक्षा, यौन शिक्षा आदि आ जाती है। इसके द्वारा हम लोगों को जनसंख्या संबंधी शिक्षा देकर युवाओं को जागरूक कर सकते हैं। इस तरह के कार्यक्रम सरकार या स्वयं सेवी संघ द्वारा चलाए जाते हैं जिसमें युवाओं को विवाह की सही उम्र, खान- पान, दुष्परिणाम, परिवार नियोजन आदि की शिक्षा दी जाती है। यदि हमारी आज की पीढ़ी (युवा) जागरूक होगा तो हम इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं।
3) विवाह की आयु में वृद्धि :- वैसे तो कानूनी तौर पर विवाह की उम्र 18 वर्ष है परंतु लोग अपनी पुरानी सोच के चलते ल़डकियों का विवाह कम उम्र में ही करवा देते हैं। लेकिन हमें तब तक ल़डकियों की शादी नहीं करानी चाहिए जब तक वे अपने पैरों पर खाड़ी ना हो जायें (अर्थात आत्मनिर्भर ना हो जाए) जितनी ज्यादा उम्र पर विवाह होगा संतान उत्पत्ति की अवधि उतनी ही कम होगी, जिससे भी जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
4) जन संपर्क :- कई सारी ऐसी संस्थायें हैं जो गाँव-गाँव जाकर लोगों से बातचीत करके उनको जनसंख्या वृद्धि से होने वाली समस्याओ के बारे में तथा उनके निदान के बारे में बताती हैं या फिर वे नाटक, किसी प्रकार के कार्यक्रम के द्वारा लोगों को जागरूक करते हैं। जितने ज्यादा लोग जागरूक होंगे उतनी ही हमे जनसंख्या वृद्धि को रोकने में सहायता मिलेगी।
5) संतानोत्पत्ति की सीमा निर्धारण :- सरकार द्वारा संतानोत्पत्ति की सीमा 2 बच्चों तक निर्धारित की गई है। क्युकि छोटा परिवार सुखी परिवार। जब लोग इसका पालन करना शुरू करेंगे तब जनसंख्या वृद्धि को रोकने में बहुत सहायता होगी।
6) स्वास्थ्य तथा मनोरंजन सेवा के प्रबंध :- सभी जगहों पर सफाई तथा स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाओं का ध्यान रखना चाहिए। गाँव में अस्पताल, नर्स, आशा आदि की सही व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों का निवारण असानी से हो जाए। मनोरंजन की भी सही व्यवस्था होनी चाहिए क्युकि कयी स्थानो पर मनोरंजन के नाम पर ल़डकियों वा औरतों का शोषण होता है। और ये भी ध्यान देना चाहिए कि स्त्री पुरुष का एकमात्र मनोरंजन का साधन ना बनें।
7) सामाजिक सुरक्षा :- हमारे यहां वृद्धावस्था, बेकारी तथा दुर्घटनाओं से बचने के बहुत कम उपाय हैं जिससे कारण लोग बड़े परिवार की इच्छा रखते हैं। यदि देश में वृद्धाश्रम, बेरोजगार भत्ता, दुर्घटना होने पर इलाज, पेंशन आदि की व्यवस्था की जाए तो लोगों के मन से डर दूर होगा और वे छोटे परिवार के बारे में सोचेंगे और उसे सुरक्षित महसूस करेंगे।
8) शिशु मृत्यु दर कम करना :- शिशु मृत्युदर को कम करने से लोगों के मन से डर (जन्म के दौरान या पहले मृत्यु होने का डर) खत्म होगा और लोग कम संतान उत्पन्न करेंगे। शिशु मृत्युदर कम करने के लिए अस्पतालों में उचित वयवस्था करनी चाहिए ।
9) कृत्रिम साधनों का उपयोग :- लोगों को कृत्रिम साधनों का उपयोग करने के लिए जागरूक करना होगा और उन्हें इसका उपयोग वा यह बताना होगा कि ये सुरक्षित हैं और इससे क्या फायदा है। यदि हम सभी नियमों वा उपायों का पालन करते हैं तो हम बहुत जल्द जनसंख्या वृद्धि रोकने में सफल होंगे।
उपसंहार- इस प्रकार हम देखते हैं कि जनसंख्या की वृद्धि हमारे देश के लिए एक बड़ी समस्या बन गयी है। यदि जल्द से जल्द कोई उपाय नहीं किया गया तो जनसंख्या विस्फोट होने के बहुत ही जल्द आसार बन जाएंगे और संसाधनो की कमी के कारण भी कई समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी।
Good
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