हम जब भी अपने प्यारे देश भारत के इतिहास की बात करते है तो हमारे मन में स्वतंत्रता संग्राम का विचार अवश्य आता है। पूरा इतिहास संघर्षों से भरा तो है ही, प्रेरणादायक भी रहा है। ढेरों स्वतंत्रता सेनानियों ने पूरे संग्राम में अपने प्राण न्यौछावर किये, तब जाके हमारा देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। मोहनदास करमचंद गाँधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक रहे थे। उन्हीं की प्रेरणा से भारत को 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। आज हम आपके समक्ष शेयर करते है महात्मा गाँधी की जीवनी, जिससे कि आप सब इनके अथक प्रयासों से अवगत हो सकें।
महात्मा गाँधी की जीवनी | Biography of Mahatma Gandhi in Hindi
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Biography of Mahatma Gandhi in Hindi |
Biography of Mahatma Gandhi in Hindi
प्रस्तावना:-
महात्मा गांधी जी से तो सभी परिचित है। उन्हें तो एक युगपुरुष के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने देश भारत के उत्थान के लिए बहुत ही संघर्ष किये। हमारे देश को अंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्रता दिलवाने में उनका सबसे बड़ा योगदान है। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन देश के हित में लगा दिया। केवल भारत ही नही पूरा विश्व उनके विचारों से बहुत प्रभावित हुआ है। उनका नाम भारत के इतिहास में प्रसिद्ध हो गया है। मोहनदास करमचंद गांधी नैतिक, धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मोर्चों पर एक साथ लड़ने के लिए इतिहास के कुछ पुरुषों में से एक थे। दक्षिण अफ्रीका में एक वकील के रूप में अपने समय के दौरान उन्होंने अहिंसा की अपनी रणनीति विकसित की: गैर-हिंसक विरोध द्वारा अन्यायपूर्ण कानूनों का विरोध करने का विचार किया। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ तीन प्रमुख अभियानों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व किया और प्रत्येक में अपनी गिरफ्तारी दी।
जीवन-परिचय:-
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, सन 1869 में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर एक हिन्दू परिवार में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। इनके पिता पोरबंदर में एक दीवान थे। इनकी माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था जो एक धार्मिक महिला थी। सन 1883 में 13 वर्ष की अवस्था में गांधी जी का विवाह 14 वर्ष की कस्तूरबा गांधी से हुआ। इनकी चार संतानें थी- हरिलाल गाँधी, मणिलाल गाँधी, रामदास गाँधी और देवदास गाँधी।
उन्नीस वर्ष की आयु में गांधी जी ने अपने गृह को छोड़ दिया और कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए। 1891 में वहाँ से भारत लौटने के बाद बॉम्बे में उन्होंने कानून का अभ्यास करना प्रारम्भ कर दिया। परंतु वहाँ उनको अधिक सफलता नही मिली। उन्होंने जल्द ही एक भारतीय फर्म में एक पद स्वीकार किया जिसने उन्हें दक्षिण अफ्रीका में अपने कार्यालय भेजा। वह वहाँ पर अपनी पत्नी कस्तूरबा बाई और बच्चों के साथ लगभग 20 वर्षों तक रहे।
महात्मा गांधी जी भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक, जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति हासिल करने के लिए गांधी को उनके अहिंसक विरोध (सत्याग्रह) के सिद्धांत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाता है। सन 1948, 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे के द्वारा गोली मारने से इनकी मृत्यु हुई।
महात्मा गाँधी की जीवनी
भारतीय स्वतंत्रता में गांधी जी का योगदान:-
भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्रता दिलवाने में गांधी जी का सर्वाधिक योगदान रहा महात्मा गांधी अपने अहिंसा विरोध के लिए जाने जाते थे और भारत या दक्षिण अफ्रीका में स्वतंत्रता के अग्रणी व्यक्ति थे। उनके प्रयासों से अंततः भारत को औपनिवेशिक शासन से आज़ादी मिली। 1910 में, उन्होंने नेटाल (दक्षिण-अफ्रीका) में उत्प्रवास और प्रतिबंध के खिलाफ सत्याग्रह की घोषणा की।
महात्मा गांधी ने भारत की आज़ादी के संघर्ष में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके अहिंसक और शांतिपूर्ण तरीके ने अंग्रेजों से आजादी हासिल करने की नींव रखी थी। भारत के इतिहास में सबसे महान व्यक्तियों में से एक महात्मा गांधी हैं। जिस तरह से उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आकार और चरित्र दिया और अपना योगदान दिया उसके लिए हम उनके आभारी है। उन्होंने अपने देश की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी। एक साधारण जीवनशैली का नेतृत्व करने के बावजूद उन्होंने अपने लिए जो सम्मान अर्जित किया, वह काबिले तारीफ है।
गांधीजी ने अपनी तकनीकों को और विकसित करने के लिए अपना समय दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके कार्यों ने एक प्रभाव डाला। राष्ट्रव्यापी हिंसक विरोध प्रदर्शनों की पहली श्रृंखला में से एक महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया असहयोग आंदोलन था। इस आंदोलन ने आधिकारिक रूप से भारत में गांधीवादी युग की शुरुआत की। इस स्वतंत्रता संग्राम में, असहयोग आंदोलन मूल रूप से भारतीयों को इस तथ्य से अवगत कराने के उद्देश्य से किया गया था कि ब्रिटिश सरकार का विरोध किया जा सकता है। गांधी जी के अथक प्रयासों ने ही सम्पूर्ण भारत को आजादी के लिए संगठित करके एकसूत्र में बांधा। गांधी जी के नेतृत्व में भारत के हर एक व्यक्ति ने अपना योगदान दिया। इसी के ही फलस्वरूप ही पूर्ण स्वराज प्राप्त करने की दिशा प्रशस्त हुई। इतने अथक प्रयासों और बलिदानों के कारण ही देश ने 15 अगस्त, सन 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त की, जिसका सर्वाधिक श्रेय हमारे महात्मा गांधी जी को ही जाता है।
गांधी जी द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए चलाए गए आंदोलन:-
महात्मा गांधी जी ही भारत को स्वतंत्रता की ओर अग्रसर रहने वाले नेता थे। गांधी जी गोपाल कृष्ण गोखले के अनुरोध पर 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गांधीजी के योगदान को शब्दों में नहीं मापा जा सकता। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए कई आंदोलन चलाये, जिसके फलस्वरूप ही भारत को अंग्रजों के चंगुल से आज़ादी मिली थी। उनके द्वारा चलाये गए आंदोलन निम्नलिखित है:-
चम्पारण सत्याग्रह:- चम्पारण सत्याग्रह गांधी जी के द्वारा सन 1917 में किया गया सर्वप्रथम आंदोलन था, जिसने भारत को स्वतंत्रता प्राप्ति में एक महत्वपूर्ण भुमिका निभाई। ये आंदोलन गांधी जी ने बिहार जिले के चम्पारण के किसानों के प्रति अन्याय के विरोध में किया था। इसका उद्देश्य चम्पारण के किसानों की दुर्दशा को दूर करना था। अंग्रेजों ने चम्पारण के पट्टेदार किसानों को नील की खेती करने का फरमान सुनाया था। महात्मा गाँधीजी ने अपने अथक प्रयासों से सक्षम वकीलों की सहायता से जिले के लोगों का संगठन बनाकर उन्हें शिक्षित किया और इसके साथ ही साथ उन्होंने उनको आत्मनिर्भर भी बनाया जिससे वे अपनी जीवकोपार्जन कर सके और आत्मनिर्भर बन सके। इस आंदोलन में गांधी जी की विजय हुई।
खेड़ा आंदोलन:- खेड़ा आंदोलन सन 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में भारत में ब्रिटीश साम्राज्य के समय गांधी जी के नेतृत्व में हुआ। ये भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति की राह में सबसे बड़ी क्रांति थी। ये गांधी जी के द्वारा किया गया दूसरा सबसे बड़ा आंदोलन था। इसकी शुरुआत गांधी जी ने किसानों की सहायता के लिए किया था। उस समय खेत में किसानों की स्थिति अत्यधिक दयनीय थी वहां पर किसानों को लगान के लिए पीड़ित और उनका शोषण किया जाता था।
सन 1918 में खेड़ा में सूखा पड़ने के कारण किसानों की सारी फसल नष्ट हो गयी थी, जिससे किसानों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। इनके परेशानियों को दूर करने के लिए गांधी जी ने किसानों को संगठित करके सरकारी कार्रवाइयों के विरोध में सत्याग्रह करने के लिए उकसाया। किसानों ने भी गांधी जी का साथ दिया। किसानों ने अंग्रेज सरकार को लगान देना बंद कर दिया। सरकार ने किसानों को धमकियां भी दी, लेकिन उन धमकियों का किसानों पर कोई असर नही हुआ। किसानों को इस अवज्ञा के लिए जेल में भी डाल दिया गया। फिर खेड़ा के इस आंदोलन ने एक विकराल रूप ले लिया, जिसके फलस्वरूप सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा और फिर सरकार ने किसानों को लगान के लिए छूट दे दी। ये आंदोलन भी स्वतंत्रता प्राप्ति की राह में मील का पत्थर साबित हुआ। इससे पूरे भारतवासियों के हृदय में एक नए उत्साह और जन भावना का संचार हुआ।
खिलाफत आंदोलन:- प्रथम विश्व युद्ध के समय में तुर्की देश ने उस समय के शक्तिशाली राष्ट ब्रिटेन के खिलाफ हिस्सा लिया था, क्योंकि ब्रिटेन ने तुर्की के लोगों के साथ अन्याय किया था। तुर्की इसका बदला लेना चाहता था और इसी बदले की भावना ने ही खिलाफत आंदोलन को जन्म दिया।
ये आंदोलन भारतीय मुस्लिम आंदोलन (1919–24) के नाम से भी जाना जाता है। ये एक अखिल इस्लामी राजनीतिक विरोध अभियान था जिसे ब्रिटिश भारत के मुसलमानों शुकत अली, मौलाना मोहम्मद अली जौहर, हकीम अजमेर खान के नेतृत्व में ब्रिटेन के खिलाफ तुर्की का साथ देने के लिए किया था। तुर्की के सुल्तान को मुस्लिमों का धर्मगुरु माना जाता था इसलिए सभी मुसलमानों ने तुर्की का साथ दिया और हिन्दू और मुस्लिम दोनों को ही ब्रिटेन से शिकायत थी जिसके कारण खिलाफत आंदोलन की शुरूआत हुई। उस समय भारत में अंग्रेजों के खिलाफ जगह-जगह आंदोलन चल रहे थे लेकिन भारत के मुस्लिम और हिंदुओं में एकता नही थी, इसी मौके का फायदा उठाते हुए गांधी जी ने हिन्दू और मुस्लिम को संगठित किया। इसी के साथ ही ब्रिटेन के प्रति खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई।
असहयोग आंदोलन:- महात्मा गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत स्वशासन के उद्देश्य से 5 सितम्बर 1920 में की थी। इस आदोंलन का नेतृत्व गांधी जी ने किया था। ये एक प्रथम जन आंदोलन था, जिसे देश के हर एक वर्ण और क्षेत्र का समर्थन मिला था, ये आंदोलन ब्रिटिश सरकार के 'रॉलेट एक्ट' के विरोध में चलाया गया था, क्योंकि इस एक्ट के तहत 1914-1918 के महान युद्व के दौरान अंग्रेजों ने प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया था और बिना जांच के कारावास की अनुमति दे दी थी। इसी आंदोलन के खिलाफ ही फिर गांधी जी ने देशभर में अभियान चलाया, जिसमें उनको जेल भी जाना पड़ा।
भारत छोड़ो आंदोलन:- भारत छोड़ो आंदोलन दूसरे विश्व युद्ध के समय 9 अगस्त 1942 के समय गांधी जी8 के द्वारा आरम्भ किया गया। इस आंदोलन का लक्ष्य भारत में ब्रिटीश शासन को समाप्त करना था। इस आंदोलन को महात्मा गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया। यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' था। अप्रैल 1942 में क्रिप्स मिशन के असफल होने के लगभग चार महीने बाद ही स्वतंत्रता के लिए भारतीयों का तीसरा जन आन्दोलन आरम्भ हो गया। इसे भारत छोड़ो आन्दोलन के नाम से जाना गया। 8 अगस्त, 1942 को बम्बई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की बैठक में भारत छोड़ो आंदोलन प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव में यह घोषित किया गया था कि अब भारत में ब्रिटिश शासन की तत्काल समाप्ति भारत में स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र की स्थापना के लिए अत्यंत जरुरी हो गयी है। अपने इसी आंदोलन में ही गांधी जी ने भारतीय लोगों को करो या मरो का नारा दिया था। भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान ‘भारत छोड़ो’ और ‘करो या मरो’ भारतीय लोगों का नारा बन गया।
Mahatma Gandhi Par Jivani
महात्मा गाँधी के कुछ अनमोल सुविचार:-
# लोकतंत्र की रक्षा के लिए लोगों में स्वतंत्रता, स्वाभिमान और उनकी एकता की गहरी भावना होनी चाहिए।
# सभी धर्म हमे एक ही शिक्षा देते हैं, केवल उनके दृश्टिकोण अलग अलग हैं।
# प्रार्थना में शब्दों के बजाए दिल का होना बेहतर है।
# चिंता के आलावा शरीर को बर्बाद करने वाला कुछ भी नहीं है, और जो ईश्वर पर भरोसा करता है उसे चिंता करने में शर्म आनी चाहिए।
# अपनी गलती को स्वीकार करना झाड़ू लगाने के समान है जो सतह को चमकदार और साफ़ कर देती है।
# प्रार्थना सुबह की कुंजी है और शाम की चटकनी।
# पैसा कोई बुराई नहीं है, उसका गलत प्रयोग करना बुराई है। किसी न किसी रूप में पैसे की हमेशा जरूरत रहेगी।
# हमको मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिए। मानवता एक महासागर के सामान है, यदि सागर की कुछ बूंदें गंदी हैं, तो पूरे महासागर को गंदा नहीं कहा जा सकता।
# बुराई को सहना भी उतना ही बुरा है जितना खुद बुराई करना।
# गरीबी हिंसा का सबसे बुरा रूप है।
# श्रेष्ठ होने का अनंत प्रयास मनुष्य का कर्तव्य है, यह अपना प्रतिफल है। बाकी सब कुछ भगवान के हाथ में है।
महात्मा गाँधी द्वारा लिखी गयी पुस्तकें:-
# हिन्द स्वराज (1909)
# दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (1924)
# मेरे सपनों का भारत
# ग्राम स्वराज
# एक आत्मकथा- सत्य के साथ मेरे प्रयोग की कहानी
# भारत का मेरा सपना
# सत्य भगवान है
# चरित्र और राष्ट्र निर्माण
# पंचायत राज
# हिन्दू धर्म का सार
इस प्रकार हम देखते है कि महात्मा गांधी जी जिन्हें हम 'राष्ट्र-पिता' और 'बापू जी' कह कर बुलाते है, उनका भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काफी योगदान रहा। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत के कल्याण में अर्पित कर दिया। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई बिना हथियार के लड़ी। इन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन में सत्य और अहिंसा को सर्वोपरि माना। आज शायद महात्मा गांधी जी न होते तो हमारे देश को स्वतंत्रता को प्राप्त करना शायद संभव न होता। हमारा भारत देश महात्मा गांधी जी के इस योगदान का जीवनभर आभारी रहेगा। ये विश्व के इतिहास में एक युगपुरुष के रूप में युगों-युगों तक जाने जायेगे। हमें आशा है कि आपको यह Biography of Mahatma Gandhi in Hindi अवश्य पसंद आयी होगी। हमने यह जीवनी बहुत ही सरल शब्दों में आपके समक्ष प्रस्तुत की है, जिससे कि आप सब गाँधी जी के अनमोल कार्यों से अवगत हो सकें।
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